एक समय पर बहुत से लोन लेना होगा मुश्किल, पर्सनल लोन लेने पर बैंक करेंगे सख्ती

rbi new rules regarding restrict evergreening practices

RBI New Rules Regarding Restrict Evergreening Practices: इस साल 2025 में आरबीआई ने बैंकिंग सेक्टर से जुड़े कई नियमों में बदलाव करने का निर्णय लिया है, जिनमें से एक नियम मल्टीप्ल पर्सनल लोन के लिए भी लागू होता है. नए नियम के लागू होने से मल्टीप्ल लोन लेने वाले लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, आरबीआई के नए नियम के अनुसार, मल्टीप्ल लोन (Multiple Loan) देने वाली संस्थाओं को क्रेडिट ब्यूरो रिकॉर्ड को 15 दिन के अंदर अपडेट करना होगा, इस से पहले इसको 1 महीने में अपडेट करना होता था .

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आरबीआई ने इसके लिए अगस्त महीने में निर्देश जारी किया था. अब लोन देने वालों तथा क्रेडिट ब्यूरो को अब सब कुछ अपडेट करने कर निर्देश दिया है। आरबीआई का कहना था कि इससे लोन लेने वालों के जोखिम का बेहतर आकलन किया जा सकेगा.

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है

SBI के चेयरमैन C S Setty ने भी कहा था कि अक्सर लोग कभी-कभी एक साथ कई लोन ले लेते हैं, जिस वजह से उन्हें लोन चुकाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. बार-बार डेटा अपडेट करने से उधारकर्ताओं के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने में आसानी होगी।

क्या नियम से क्या होगा असर

क्रेडिट सूचना कंपनी CRIF हाईमार्क के चेयरमैन ने बताया की, “अगर रिकॉर्ड महीने में एक बार अपडेट होते थे, तो उधारकर्ताओं की डिफॉल्ट या भुगतान की जानकारी अपडेट नहीं हो पाती थी, जिससे क्रेडिट मूल्यांकन में देरी होती थी. हालाँकि अब 15 दिन में डेटा अपडेट होने से उधारदाता ज्यादा सटीक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

एवरग्रीनिंग जैसी प्रैक्टिस को रोकने में मदद मिलेगी

लोन देने वालों ने बताया कि डेटा अपडेट होने से “एवरग्रीनिंग” जैसी प्रैक्टिस को रोकने में मदद मिलेगी. इसमें लोन लेने वाला पुराने डिफॉल्ट को कवर करने के लिए नए लोन का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब 15 दिन में डाटा अपडेट होने की वजह से वित्तीय गतिविधि अधिक सटीक और समय पर रिकॉर्ड होती है और इसको रोकने में मदद मिलती है।

एवरग्रीनिंग प्रैक्टिस क्या होती है

“एवरग्रीनिंग” एक प्रैक्टिस है जिसमें उधारकर्ता अपने पुराने लोन को चुकाने के लिए नया लोन ले लेते है और पहले वाले को चूका देते है। इसका मतलब है कि उधारकर्ता पुराने लोन का भुगतान करने के लिए नया लोन लेते हैं, जिससे उनकी कुल कर्ज की राशि और अधिक हो जाती है. इसके जरिये उधारकर्ता को तत्काल रहत मिल जाती है, लेकिन बैंक और वित्तीय संस्थानों को इस से नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही उधारकर्ता कभी अपने पुराने कर्ज को पूरी तरह से चुका नहीं पाते और कर्ज का बोझ बढ़ता रहता है.

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