मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में कई बड़ी बड़ी योजनाओ को ऐलान किया है। इसी में से एक आदिवासी समुदाय के लिए एक नई योजना को शुरू किया है, जिस से लगभग 5 करोड़ लोगो को फायदा मिलेगा। इस योजना का नाम Pradhan Mantri Janjati Unnat Gram Abhiyan रखा गया है। तो आइये जानते है, आदिवासी समुदायों के लिए शरू की गई योजना के बारे में जानते है।
भारत सरकार ने एक नई केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में एक और कदम उठाया है। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की घोषणा माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने केंद्रीय बजट में आदिवासी समुदाय का जिक्र किया है, और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के साथ-साथ आदिवासियों का सशक्तिकरण राज्य का कर्तव्य है, क्योंकि भारत एक कल्याणकारी राज्य है, जो एक समावेशी समाज का लक्ष्य रखता है।
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए सामाजिक व आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है। इस योजना में आदिवासी बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में आदिवासी परिवारों को शामिल क्या गया है। इस योजना का संचालन जनजातीय मामलों का मंत्रालय करेगा। यह योजना आदिवासी सशक्तिकरण के लक्ष्य की दिशा में दूरगामी पर बहुत प्रभाव डाल सकती हैं।
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के उद्देश्य
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाकर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाना है। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान में 63,000 गांवों को शामिल करने की परिकल्पना की गई है, और इसका लक्ष्य देश भर में 5 करोड़ जनजातीय लोगों को लाभान्वित करना है।
- बुनियादी सुविधाओं में सुधार करके आदिवासी गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित करना।
- कौशल विकास, रोजगार सृजन और पारंपरिक आजीविका को बढ़ावा देने के माध्यम से जनजातीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में वृद्धि करना।
- जनजातीय आबादी के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में सुधार और शिक्षा को बढ़ावा देना।
- जनजातीय संस्कृति, परंपराओं और विरासत का संरक्षण और संवर्धन।
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान को लाभ
इस योजना में जनजातीय कल्याण के लिए कई प्रावधान किए गए हैं जिससे झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि जैसे अविकसित राज्यों को लाभ मिल सकता है।
- जनजातीय क्षेत्रों में प्रभाव और दक्षता को अधिकतम करने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बीच अभिसरण पर जोर देता है।
- कनेक्टिविटी और जीवन स्तर में सुधार के लिए सड़कों, पुलों, पेयजल सुविधाओं, विद्युतीकरण आदि के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- आय बढ़ाने और आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए कृषि, बागवानी, वानिकी और गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देना।
- जनजातीय समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य केन्द्र, विद्यालय और कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना करना।
प्रधान मंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान का कार्यान्वयन और वित्त पोषण तंत्र
इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर है। कार्यान्वयन की निम्नलिखित पद्धतियाँ हैं।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय अन्य संबंधित मंत्रालयों और राज्य सरकारों के समन्वय से पीएमजेयूजीए के कार्यान्वयन की देख रेख करता है।
- जनजातीय गांवों की विशिष्ट विकास आवश्यकताओं की पहचान करने तथा तदनुसार परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय समितियां गठित की जाती हैं।
- वित्तीय सहायता केन्द्र सरकार द्वारा बजटीय आवंटन और अन्य वित्तपोषण तंत्रों के माध्यम से प्रदान की जाती है।
- सरकार ने संबंधित मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन में भी लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि की है। सरकार ने बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जो पिछले वित्त वर्ष में 7,605 करोड़ रुपये से अधिक है।
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