स्मार्ट प्रीपेड मीटर के माध्यम से बिजली उपभोक्ताओं के जीवन में काफी लाभ हुआ, लेकिन इसकी सटीकता को लेकर उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सवाल उठ रहे हैं। कुछ उपभोक्ताओं का कहना है कि यह मीटर पुराने मीटरों की तुलना में बहुत तेज चलता है, जिससे बिजली बिल अधिक आता है।
इसके समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा चेक मीटर लगाना शुरू किया है। यह पहल न केवल उपभोक्ताओं की शंकाओं को दूर करती है, बल्कि बिजली वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता भी लाती है।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर और उपभोक्ताओं की समस्या
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के जरिये बिजली खपत को नियंत्रित करना और उपभोक्ताओं को अपनी खपत के प्रति जागरूक करना है। बहुत से उपभोक्ता डिजिटल मीटर को लेकर लगातार शिकायत कर रहे है, इसको देखते हुए सरकार ने चेक मीटर लगाने का निर्णय लिया है।
ग्राहकों को लगता है की डिजिटल मीटर की वजह से बिजली बिल अधिक आता है। हालाँकि ग्राहकों द्वारा बिजली का अधिक इस्तेमाल करने की वजह से बिल अधिक आता है। लेकिन ग्राहकों की परेशानी को देकते हुए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है।
चल रही है चेक मीटर लगाने की योजना
चेक मीटर उपभोक्ताओं की समस्या का व्यावहारिक और वैज्ञानिक समाधान है। UPPCL हर 100-120 मीटरों के बीच 5% चेक मीटर लगाने की योजना बना रहा है। इसके माध्यम से अन्य स्मार्ट मीटरों को जांच की जाएगी। यदि उपभोक्ता को लगता है कि उनका स्मार्ट मीटर तेज चल रहा है, तो वे चेक मीटर लगवाकर इसकी सटीकता की जांच कर सकते हैं।
चेक मीटर लगाने के लिए क्या करना होगा?
चेक मीटर लगाने के लिए उपभोक्ता को अपने क्षेत्र के Executive Engineer के पास जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन करने के बाद बिजली विभाग द्वारा आपके घर के उपकरणों और उनके लोड की जांच करता है। यदि कुछ गलत लगता है, तो चेक मीटर लगवाने का निर्णय लिया जाता है। चेक मीटर लगाने के लिए सिंगल फेज कनेक्शन पर विभाग द्वारा 118 रुपये का शुल्क लिया जाता है। आवेदन की रसीद के साथ यह राशि जमा की जाती है।
ठंड में बिजली खपत बढ़ जाती है
सर्दियों में बिजली की खपत बढ़ने लगती है, जिस वजह से स्मार्ट मीटर पर संदेह भी बढ़ना संभव है। सर्दियों के मौसम में रूम हीटर जैसी जरूरतें खपत को और बढ़ाती हैं। इसी वजह से ठंड के मौसम में बिजली बिल अधिक आता है। लेकिन फिट भी यदि आपको लगता है की बिजली बिल अधिक आ रहा है तो Check Meter को लगवा सकते है।