भारत में One Nation One Election को लेकर कमेटी का गठन किया गया है। एक राष्ट्र एक चुनाव के जरिये देशभर में लोकसभा (संसद) और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कार्य जाएगा। अभी सभी राज्यों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते है और लोकसभा के चुनाव अलग समय पर, जिससे चुनावी प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। इसको लागू करने के बहुत से फायदे है और नुक्सान भी. आइए, इस बारे में विस्तार से जानें।
One Nation One Election के फायदे
पैसे और संसाधनों की बचत : बार-बार चुनाव कराने पर सरकार को काफी अधिक खर्च करना पड़ता है। एक चुनाव होने से खर्चा कम होगा और चुनाव से जुड़ी अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च कम होगा।
लगातार विकास कार्य : चुनावी माहौल में सरकार बहुत से फैसलों पर निर्णय नहीं ले पाती, क्युकी चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है। एक साथ चुनाव के जरिये सरकारके बिना रुके आसानी से काम कर पाएंगी।
जनता को चुनाव में अधिक ध्यान देने का मौका : सभी चुनाव एक साथ होते हैं, तो मतदाता ज्यादा सोच-समझकर अपना वोट डाल सकेंगे क्योंकि उन्हें बार-बार वोट डालने की जरूरत नहीं होगी।
One Nation One Election के नुकसान
प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियाँ : देश में इतने बड़े पैमाने पर एक साथ चुनाव करना बहुत ही कठिन काम है। सभी राज्यों के अलग-अलग मुद्दे होते है, जो एक साथ चुनाव में सही ढंग से संबोधित नहीं हो पातीं।
लोकतंत्र की विविधता पर असर : बार-बार चुनाव होने से सरकारें और राजनीतिक दल जनता के करीब रहते हैं और जनता के प्रति जवाबदेह रहते हैं। अगर चुनाव पांच साल बाद ही होंगे, तो जनता की समस्याओं पर तुरंत ध्यान देना कठिन हो सकता है।
क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत कम हो सकती है : एक साथ चुनाव होने से राष्ट्रीय पार्टियों को ज्यादा लाभ मिल सकता है और क्षेत्रीय पार्टियों की आवाज कमजोर हो सकती है।
कौन सी पार्टियां हैं इसके विरोध में?
कई विपक्षी दल जैसे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP), और कुछ क्षेत्रीय पार्टियाँ One Nation One Election का विरोध कर रही है। पार्टियों का कहना है कि इस से राज्यों के मुद्दे अनदेखे रह जाएंगे और लोकतंत्र को नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही अगर कोई सरकार गिर जाती है तो इसका क्या समाधान होगा।