नए साल की शुरुआत के उत्तराखंड राज्य में बिजली बिलों में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। यूपीसीएल (Uttarakhand Power Corporation Limited) ने इस संदर्भ में आदेश जारी किए हैं। यह निर्णय प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग और जल विद्युत उत्पादन में कमी के कारण लिया गया है। राज्य में पिछले कुछ महीनों में बारिश न होने की वजह से नदियों के जल स्तर में कमी आई है, जिससे जल विद्युत उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
उत्तराखंड में बिजली संकट की वजह से बिजली बिल बढ़ जायेगा जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ सकता है। जलवायु परिस्थितियों में बदलाव और ऊर्जा स्रोतों की कमी की वजह से इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि सरकार के द्वारा रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में कदम उठाये जा रहे है, जिस से बिजली पूर्ति को पूरा करने में मदद मिलेगी।
बारिश की कमी से प्रभावित जल विद्युत उत्पादन
उत्तराखंड में जल विद्युत का उत्पादन मुख्य रूप से नदियों के जल प्रवाह पर निर्भर करता है। लेकिन बारिश न होने की वजह से नदियों के जल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है, जिस से हाइड्रो पावर (Hydro Power) की आपूर्ति में बहुत कमी आई है।
इससे प्रदेश में बिजली की खपत को पूरा करने के लिए सरकार को बाहरी स्रोतों से बिजली खरीदनी पड़ रही है, जो महंगी साबित हो रही है। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर पड़ रहा है। इस तरह से बिजली बिल का भुगतान बढ़ सकता है।
उपभोक्ताओं को देना होगा ज्यादा बिल
बढ़ते ऊर्जा संकट की वजह से राज्य में बिजली की दरों में वृद्धि होना तय माना जा रहा है। जिसके चलते जनवरी के महीने में उपभोक्ताओं के बिजली बिल में इजाफा देखने को मिल सकता है। ऊर्जा निगम द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, बिजली की दरों में बढ़ोतरी अस्थायी हो सकती है, जो की सिर्फ कुछ समय के लिए ही होगा।
रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में प्रयास
उत्तराखंड में ऊर्जा संकट को कम करने के लिए सरकार द्वारा सौर ऊर्जा (Solar Energy) और पवन ऊर्जा (Wind Energy) जैसे रिन्यूएबल स्रोतों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाये जा रहे है, जिस से भविष्य में बिजली की लागत को नियंत्रित किया जा सकता है।