बिहार में भूमि रजिस्ट्री (Bihar Jamin Survey) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नए नियम लागू किये जा रहे है। अब जमीन को खरीदने और बेचने के दौरान रजिस्ट्री से पहले आधार नंबर को भूमि रिकॉर्ड और निबंधन कार्यालय से लिंक कराना अनिवार्य होगा। इसके बिना रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी।
नियमो के बदलाव के जरिये भूमि रजिस्ट्री में पारदर्शिता लाना और बेनामी संपत्ति पर रोक लगाना है। राज्य सरकार के इस कदम से जमीन की खरीद-फरोख्त को सुरक्षित बनाया जा सकेगा और धोखाधड़ी पर भी रोक लगेगी।
Bihar Jamin Survey से फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी
जमीन रजिस्ट्री करवाने के लिए आधार नंबर और मोबाइल नंबर को राजस्व रिकॉर्ड में लिंक करना अनिवार्य है। इसके साथ ही विक्रेता, खरीदार और गवाहों के सत्यापन को भी सख्ती से लागू किया गया है। इस प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार द्वारा “गो-लाइव” नामक ई-निबंधन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल है, जिससे हेराफेरी की सभी संभावनाएं खत्म हो जाएंगी।
सरकार द्वारा जमीन से जुड़े फर्ज़ीवाड़े को रोकने के उद्देश्य से इसको शुरू किया गया है। आधार लिंक प्रक्रिया के बाद ही रजिस्ट्री के लिए अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही खरीदारों और गवाहों का सत्यापन भी करना होगा।
बेनामी संपत्तियों पर भी लगेगी रोक
सरकार की इस पहल से बेनामी संपत्तियों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। इसके लिए खास ई-निबंधन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके जरिए राजस्व रिकॉर्ड की ऑनलाइन जांच और आधार लिंक होने से बेनामी संपत्ति का पता लगाना आसान होगा। इस प्रक्रिया संपत्ति से जुड़े मामलो और विवादों को सुलझाने में मदद करेगी।
जमीन खरीद प्रक्रिया में सुधार और अमीनों की जांच करना
भूमि रजिस्ट्री के साथ-साथ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा Land Survey किया जाना है। ई-मापी आवेदनों की अस्वीकृति की जांच रैंडम तरीके से की जाएगी। सरकार के इस तरह काम करने से सभी को फायदा मिलेगा और लाभ भी प्राप्त होगा। अब तक कुल 1700 ई-मापी आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 417 आवेदन खारिज कर दिए गए हैं।